घटिया दूध बेच रहा है सांची

टोंड दूध से भी घटिया है सांची का 'गोल्ड दूध'




सांची दुग्ध संघ का सुपर क्वालिटी प्रोडक्ट गोल्ड मिल्क टोंड दूध से भी गया-बीता हो गया है। दूध में मलाई नहीं पड़ रही है। दूध पकाने से मलाई नही आने से घरेलू महिलाएं घी नहीं बना पा रही हैं। यह घर-घर की है अब तो सांची के गोल्ड दूध में भिंड-मुरैना जैसे दूध का स्वाद आ रहा है। यह कहना है कि सांची दूध लेने वाले उपभोक्ताओं का।
सांची गोल्ड दूध लेने वाले उपभोक्ता और ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट कंपनीज एसोसिएशन, भोपाल के अध्यक्ष ठाकुरलाल राजपूत कहते हैं कि सांची दूध में अब पहले जैसे स्वाद नहीं रहा। दूध पकाने पर तो भिंड-मुरैना के दूध जैसे स्वाद की अनुभूति होती है। घर-घर की कहानी यही है कि अब सांची के प्रीमियम प्रोडक्ट गोल्ड दूध बेस्वाद होने के साथ इसमें मलाई नहीं पड़ रही है, जिससें घर की महिलाएं घी नहीं बना पा रही है। श्री राजपूत बताते हैं कि मेरे घर सांची गोल्ड दूध का उपयोग वर्षों से हो रहा है। 4 पैकेट दूध, यानी कि 2 किलो दूध को गर्म करने के बाद काफी मलाई निकलती थी और एक माह में उससे करीब 2 किलो घी भी मेरी पत्नी घर पर ही निकल लेती थी। मलाई निकालने के पश्चात भी दूध का स्वाद बेहतरीन बना रहता था। लेकिन पिछले चार पांच माह से दूध में मलाई नाम मात्र ही आ रही है, उसमें घी भी नहीं निकलता, स्वाद भी दूध का गायब हो गया है। इसका मतलब संघ द्वारा या तो दूध में से ज्यादा क्रीम निकाला जा रहा है, या फिर कम गुणवत्ता वाला दूध उपभोकताओ को बेचा जा रहा है।
जब सांची दुग्ध संघ अपने उत्पादन की मन चाही राशि हम उपभोक्ताओं से वसूल रही है,समय-समय पर दाम भी बढ़ाकर लेती है, तो हमें कम गुणवत्ता वाला दूध क्यों उपलब्ध कराया जा रहा है। सांची दूध की गुणवत्ता में आई गिरावट को लेकर ठाकुरलाल राजपूत ने खाद्य मंत्री और व्यापारियों और उद्यमियों की संस्था कम्पीस्ट के अध्यक्ष गोविन्द गोयल को इस संदर्भ में पत्र भी लिखा है। श्री राजपूत ने सोशल मीडिया पर सांची दूध को स्वादहीन करार देते हुए कहा कि प्रशासन दूध की क्वालिटी कंट्रोल पर ध्यान रखा जाए और निर्धारित मापदंड के अनुसार ही उपभोक्ताओं को दूध वितरित किया जाए। इसके साथ ही दुग्ध संघ के सभी सदस्यों से अपील की है कि उपरोक्त बात से सहमत है,तो अपने बच्चों, परिवार की खातिर इस मुद्दे को पुरजोर से उठाएं। वहीं दूसरी ओर भेलसंगम निवासी गृहणी दुर्गा कहतीं हैं कि सांची का हरे पैकेट वाले दूध को पहले जब मैं पकाती थी तो दूध में मलाई पड़ती थी लेकिन अब स्थिति विपरीत है। मलाई तो दूर स्वाद भी अजीबो-गरीब लगता है बच्चे दूध पीने से मना कर देते हैं। चाय का स्वाद भी बेस्वाद हो जाता है।