दादा जी खोब्रागड़े ; एक ऐसे कृषक जिनके
अनुसंधान का वैज्ञानिक तक लोहा मानते है
क्या आप इन्हें पहचानते है? जी यह HMT नामक धान की किस्म को विकसित करने वाले कृषक ,दादा जी खोब्रागड़े है।
बात पुरानी है। देश को आत्म निर्भर बनाने वाली नई नवेली सी आई हरित क्रांति का जमाना था।
कहते है 80 के दशक में दादा जी खोब्रागड़े नाम के इन कृषक ने अपने खेत मे पटेल सुपर नामक एक धान बो रखी थी तो उसमे उन्हें एक अलग तरह की धान भी दिखी जिसका चावल कुछ अधिक पतला और सफेद था। दादा जी ने उस धान को बिकसित किया और उस के उस खूब सूरत स्वादिष्ट चावल को बाजार में उतारा l उनका चावल बाजार में चल पड़ा।
पर उनके सामने एक समस्या थी कि उस चावल का नाम क्या रखे ?
उन दिनों HMT नामक घड़ी काफी पॉपुलर थी जिसका अक्सर रेडियो में भी विज्ञापन निकलता था। BBC लंदन तो अपने रेडियो कार्यक्रम में बकायदे HMT के सितारे,, नामक एक घण्टे का गीतों की गीत माला ही प्रसारित करता था।
बस क्या था? दादा जी खोब्रागड़े ने अपने उस चावल का नाम ही HMT रख दिया। बाद में वह चावल इतना पापुलर हुआ कि महाराष्ट्र की सीमा लांघ उनकी ख्याति समूचे देश मे फैल गई।
मेरी उनसे दिल्ली, बंगलोर, हैदरावाद, अमदाबाद, मुंबई, पुणे ,गुड़गांव आदि अनेक स्थानों के कार्यकर्मो में कई बार भेट हुई है। वे राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरस्कृत थे।
नागपुर में महाराष्ट्र सरकार का प्रतिष्ठा पूर्ण,,कृषि बसन्त पुरस्कार,, उन्हें और मुझे साथ साथ मिला था। बड़े ही मिलनसार एवं नेक इंसान थे दादा जी खोब्रागड़े? किन्तु पिछले साल उनका निधन हो गया था और कल पुण्य तिथि थी।
@ Babulal Dahiya जी की पोस्ट